|।ॐ।|
 *आज का पंचांग*
तिथि.....षष्टी
वार........रविवार
कलि युगाब्द.....५११९
विक्रम संवत्.....२०७४
ऋतु...............बसंत
मास...........चैत्र
पक्ष............शुक्ल
नक्षत्र..........मृगशीर्ष
योग............सौभाग्य
राहु काल.....१७:१३--१८:४५
२ अप्रैल सं २०१७ ईस्वी
*षष्ठी नवरात्र - माँ कात्यायनी देवी*
*आज का दिन सभी के लिए मंगलमय हो*
धर्म के द्वारा ही लोक विजय होती है।
: चाणक्य
*एलोवेरा एक संजीवनी बूटी ! इस संजीवनी बूटी के फायदे-*
एलोवेरा एक ऐसी प्राकृत देन है जिसका प्रयोग बहुत सी बीमारियो से छुटकारा पाने के लिए किआ जाता है।
एलोवेरा का प्रयोग हर प्रकार से किआ जाता हे जैसे की चेहरे का रूहान बढाने के लिए जोड़ो में दर्द को दूर करने के लिए और भी बहुत सारे उपयोग है जिनका हम फायदा उठा सकते है जोकि इस प्रकार है।
✅ *संजीवनी बूटी के फायदे :*
✏1. एलोवेरा हमारे शरीर में किसी भी पारकर की खून की कमी को पूरा करता है।
✏2. एलोवेरा जूस खून को शुद्ध करता है और हिमोग्लोबिन की मात्रा को भी ठीक बनाए रखता है।
✏3. एलोवेरा शरीर के हर प्रकार के दर्द को दूर करता है।
✏4. एलोवेरा त्वचा और बालो की सून्र्ता के लिए संजीवनी बूटी है। एलोवेरा का जूस पीने से त्वचा में नमी बनी रहती है और त्वचा कांतिमय बनती है।
✏5. यह दिल से जुडी हर प्रकार की बीमारी का उपचार करने में सहायता करता है।
✏6. किल, मुँहासे, फोड़ा, फुंसी हर प्रकार की बीमारी से निजात दिलवाता है एलोवेरा।
✏7. यूरिन की समस्या और शरीर में विशेले प्रदार्थ को यूरिन की सहायता शरीर से बहर निकलने में सहायता करता है। एलोवेरा जूस दांतों को साफ़ रखता है और रोगाणुमुक्त बनता है।
एलोवेरा का सेवन किसी भी उमर का व्यक्ति कर सकता है इसके कोई साइड इफ़ेक्ट नही है।
*सहभाग किया, श्रेय नहीं लिया डॉ. हेडगेवार ने*
भारत को केवल राजनीतिक इकाई मानने वाला एक वर्ग हर प्रकार के श्रेय को अपने ही पल्ले में डालने पर उतारू दिखता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए दूसरों ने कुछ नहीं किया, सारा का सारा श्रेय हमारा ही है ऐसा ('प्रोेपगंडा') एक तरफा प्रचार करने पर वह आमादा दिखता है।
*यह उचित नहीं है। सशस्त्र क्रांति से लेकर अहिंसक सत्याग्रह, सेना में विद्रोह, आजाद की हिन्द फौज इन सभी के प्रयासों का एकत्र परिणाम स्वतंत्रता प्राप्ति में हुआ है।*
इसमें द्वितीय महायुद्ध में जीतने के बाद भी इंग्लैंड की खराब हालत और अपने सभी उपनिवेशों पर शासन करने की असमर्थता और अनिच्छा के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। स्वतंत्रता के लिए भारत के समान दीर्घ संघर्ष नहीं हुआ, ऐसे उपनिवेशों को भी अंग्रेजों ने क्रमश: स्वतंत्र किया है।
 
*1942 का सत्याग्रह, महात्मा गांधी द्वारा किया हुआ आखिरी सत्याग्रह था और उसके पश्चात् 1947 में देश स्वतंत्र हुआ, यह बात सत्य है।*
परन्तु इसलिए स्वतंत्रता केवल 1942 के आन्दोलन के कारण ही मिली और जो लोग उस आन्दोलन में कारावास में रहे उनके ही प्रयास से भारत स्वतंत्र हुआ यह कहना हास्यास्पद, अनुचित और असत्य है।
*एक रूपक कथा है। एक किसान को बहुत भूख लगी। पत्नी खाना परोस रही थी और वह खाए जा रहा था। पर तृप्ति नहीं हो रही थी, दस रोटी खाने के बाद जब उसने ग्यारहवीं रोटी खाई तो उसे तृप्ति की अनुभूति हुई।*
उससे नाराज होकर वह पत्नी को डांटने लगा कि यह ग्यारहवीं रोटी जिससे तृप्ति हुई, उसने पहले क्यों नहीं दी। इतनी सारी रोटियां खाने की मेहनत बच जाती और तृप्ति जल्दी अनुभूत होती। यह कहना हास्यास्पद ही है।
*इसी तरह यह कहना कि केवल 1942 के आन्दोलन के कारण ही भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई, हास्यास्पद बात है। इसके बारे में अन्य इतिहासकार क्या कहते हैं जरा देखिए- भारत को आजाद करते समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने कहा था, ''महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन का ब्रिटिश सरकार पर असर शून्य रहा है।''*
कोलकाता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और पश्चिम बंगाल के कार्यकारी गवर्नर रहे पी़ एम़ चक्रवर्ती के शब्दों में, ''जिन दिनों मैं कार्यकारी गवर्नर था, उन दिनों भारत दौरे पर आए लॉर्ड एटली, जिन्होंने अंग्रेजों को भारत से बाहर कर कोई औपचारिक आजादी नहीं दी थी, दो दिन के लिए गवर्नर निवास पर रुके थे।
*भारत से अंग्रेजी हुकूमत के चले जाने के असली कारणों पर मेरी उनके साथ लंबी बातचीत हुई थी। मैंने उनसे सीधा प्रश्न किया था कि चूंकि गांधी जी का 'भारत छोड़ो आंदोलन' तब तक हल्का पड़ चुका था और 1947 के दौरान अंग्रेजों को यहां से आनन-फानन में चले जाने की कोई मजबूरी भी नहीं थी, तब वह क्यों गए ?*
इसके जवाब में एटली ने कई कारण गिनाए, जिनमें से सबसे प्रमुख था भारतीय सेना और नौसेना की ब्रिटिश राज के प्रति वफादारी का लगातार कम होते जाना। इसका मुख्य कारण नेताजी सुभाषचंद्र बोस की सैन्य गतिविधियां थीं।
*हमारी बातचीत के अंत में मैंने एटली से पूछा कि अंग्रेजी सरकार के भारत छोड़ जाने में गांधी जी का कितना असर था। सवाल सुनकर एटली के होंठ व्यंग्यमिश्रित मुस्कान के साथ मुड़े और वह धीमे से बोले - न्यूनतम (मिनिमल)।'' (रंजन बोरा, 'सुभाषचंद्र बोस, द इंडियन नेशनल आर्मी, द वार ऑफ इंडियाज लिबरेशन'।*
जर्नल ऑफ हिस्टोरिकल रिव्यू, खंड 20,(2001), सं़ 1, संदर्भ 46)अपनी पुस्तक 'द इंडियाज स्ट्रगल' में नेताजी ने लिखा है,
 
 
 
 
 
 
 
 
 This blog is the provide some information about your feature and aims to give you practical solution to all of your problem . But it is not be taken any think happen your life.
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