Haldi ke gun kaise sevan kare || हल्दी के गुन कैसे सेवन करे - Kaal chakra

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Haldi ke gun kaise sevan kare || हल्दी के गुन कैसे सेवन करे





*हल्दी वाला दूध पीने के 7 लाभ*

बहुत फायदेमंद हैं हल्‍दी वाला दूध। दूध जहां कैल्शियम से भरपूर होता है वहीं दूसरी तरफ हल्‍दी में एंटीबायोटिक होता है। दोनों ही आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं और अगर दोनों को एक साथ मिला लिया जाये तो इनके लाभ दोगुना हो जायेगें।
आइए हल्‍दी वाले दूध के ऐसे फायदों को जानकर आप इसे पीने से खुद को रोक नहीं पायेगें।
✏1.सांस संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी- 

हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते है, इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। यह मसाला आपके शरीर में गरमाहट लाता है और फेफड़े तथा साइनस में जकड़न से तुरन्त राहत मिलती है। साथ ही यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है
✏2. मोटापा कम करें- 

हल्दी वाले दूध को पीने से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल और अन्‍य पोषक तत्व वजन घटाने में मदगार होते है।
✏3. हडि्डयों को मजबूत बनाये-

दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हडि्डयां मजबूत होती है और साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ऑस्टियोपोरेसिस की समस्‍या में कमी आती है ।
✏4. खून साफ करें - 

आयुर्वेदिक परम्‍परा में हल्‍दी वाले दूध को एक बेहतरीन रक्त शुद्ध करने वाला माना जाता है। यह रक्त को पतला कर रक्त वाहिकाओं की गन्दगी को साफ करता है। और शरीर में रक्त परिसंचरण को मजबूत बनाता है।
✏5. पाचन संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी- 

हल्‍दी वाला दूध एक शक्तिशाली एंटी-सेप्टिक होता है। यह आंतों को स्‍वस्‍थ बनाने के साथ पेअ के अल्‍सर और कोलाइटिस के उपचार में भी मदद करता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है और अल्‍सर, डायरिया और अपच की समस्‍या नहीं होती है।
✏6. दर्द कम करें- 

हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया का निदान होता हैं। साथ ही इसका रियूमेटॉइड गठिया के कारण होने वाली सूजन के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। यह जोड़ो और मांसपेशियों को लचीला बनाता हकै जिससे दर्द कम हो जाता है
✏7. गहरी नींद में सहायक- 

हल्‍दी शरीर में ट्रीप्टोफन नामक अमीनो अम्ल को बनाता है जो शान्तिपूर्वक और गहरी नींद में सहायक होता है। इसलिए अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पा रहें है या आपको बैचेनी हो रही है तो सोने से आधा घंटा पहले हल्दी वाला दूध पीएं। इससे आपको गहरी नींद आएगी और नींद ना आने की समस्या दूर हो जाएगी।



अपनी विलक्षण क्षमताओं के आधार पर एक विशिष्ट स्थान बना चुके डा. भीमराव अम्बेडकर का जीवन अनेक प्रकार की विविधिताओं से परिपूर्ण है। उनकी सर्वाधिक ख्याति एक संविधान निर्माता तथा समाज के उपेक्षित और वंचित वर्ग के अधिकारों की रक्षा हेतु संघर्षरत योद्धा के रूप में ही अधिक है।

उनके जीवन के ये दोनों ही आयाम महत्वपूर्ण हैं किन्तु, आश्चर्य की बात यह है कि उनके जीवन और कार्य के अनेक महत्वपूर्ण आयाम और भी हैं, जिनके बारे में अध्ययन, चिन्तन तथा विश्लेषण आवश्यकतानुरूप नहीं हो पाया है।
*विलक्षण क्षमता और प्रतिभा*
एक बात हम सभी को सदैव ध्यान में रखनी होगी कि अति सामान्य परिवार में जन्मे डा. भीमराव अम्बेडकर, सभी प्रकार के अभाव, उपेक्षा, अपमान एवं तिरस्कार सहते हुए अपनी विलक्षण क्षमताओं और प्रतिभा के बल पर आज एक महत्वपूर्ण स्थान पर विराजमान हैं।

हम यहां विचार करेंगे कि डा. अम्बेडकर का समाज सुधारक के रूप में मौलिक स्वरूप कैसा है? हम जानते हैं कि विगत दो हजार वर्षों की व्यापक राजनीतिक एवं सामाजिक उथल-पुथल ने कुछ विचित्र परिस्थितियां खड़ी कीं और समाज में अनेक प्रकार के विभेद उत्पन्न हो गये थे।

इस दृष्टि से व्यापक समाज सुधारों की आवश्यकता थी। इस आवश्यकता के अनुरूप ही डा. अम्बेडकर एक समाज सुधारक थे तथा युगानुकूल सामाजिक व्यवस्थाओं की पुनर्स्थापना के वे पुरोधा थे।

*सदियों से वंचित, उपेक्षित अपमानित एवं तिरस्कृत जातियों को उन्होंने आशा और विश्वास के साथ एक मजबूत संबल प्रदान किया, जो असहाय और असंगठित थे उन्हें एक मजबूत आधार और मंच दिया, भय और प्रताड़ना के कारण जिनकी वाणी 'मूक' हो गई थी उन्हें सशक्त वाणी दी।*
साथ ही, अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध एकजुट होकर संघर्ष करने की क्षमता भी उन्हें प्रदान की।
यह बात हमारे स्मरण में सदैव रहनी चाहिए कि वे जिस व्यवस्था के विरुद्ध लड़ रहे थे वह सदियों की रूढ़ परम्पराओं के कारण दृढ़ हो गई थी और कहीं-कहीं तो उसने तथाकथित शास्त्रों और धर्म की विकृत धारणाओं से सहारा लेने की कोशिश भी की थी।

*इस कारण, इन कुरीतियों, रूढ़ियों तथा मिथ्या मान्यताओं की जड़ें गहरी थी तथा ये दीवारें बहुत मजबूत थीं। इनसे संघर्ष लेना और उनको ढहाना आसान न था।*
          

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