आइए हल्दी वाले दूध के ऐसे फायदों को जानकर आप इसे पीने से खुद को रोक नहीं पायेगें।
हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते है, इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। यह मसाला आपके शरीर में गरमाहट लाता है और फेफड़े तथा साइनस में जकड़न से तुरन्त राहत मिलती है। साथ ही यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है
हल्दी वाले दूध को पीने से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल और अन्य पोषक तत्व वजन घटाने में मदगार होते है।
दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हडि्डयां मजबूत होती है और साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ऑस्टियोपोरेसिस की समस्या में कमी आती है ।
आयुर्वेदिक परम्परा में हल्दी वाले दूध को एक बेहतरीन रक्त शुद्ध करने वाला माना जाता है। यह रक्त को पतला कर रक्त वाहिकाओं की गन्दगी को साफ करता है। और शरीर में रक्त परिसंचरण को मजबूत बनाता है।
हल्दी वाला दूध एक शक्तिशाली एंटी-सेप्टिक होता है। यह आंतों को स्वस्थ बनाने के साथ पेअ के अल्सर और कोलाइटिस के उपचार में भी मदद करता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है और अल्सर, डायरिया और अपच की समस्या नहीं होती है।
हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया का निदान होता हैं। साथ ही इसका रियूमेटॉइड गठिया के कारण होने वाली सूजन के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। यह जोड़ो और मांसपेशियों को लचीला बनाता हकै जिससे दर्द कम हो जाता है
हल्दी शरीर में ट्रीप्टोफन नामक अमीनो अम्ल को बनाता है जो शान्तिपूर्वक और गहरी नींद में सहायक होता है। इसलिए अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पा रहें है या आपको बैचेनी हो रही है तो सोने से आधा घंटा पहले हल्दी वाला दूध पीएं। इससे आपको गहरी नींद आएगी और नींद ना आने की समस्या दूर हो जाएगी।
एक बात हम सभी को सदैव ध्यान में रखनी होगी कि अति सामान्य परिवार में जन्मे डा. भीमराव अम्बेडकर, सभी प्रकार के अभाव, उपेक्षा, अपमान एवं तिरस्कार सहते हुए अपनी विलक्षण क्षमताओं और प्रतिभा के बल पर आज एक महत्वपूर्ण स्थान पर विराजमान हैं।
यह बात हमारे स्मरण में सदैव रहनी चाहिए कि वे जिस व्यवस्था के विरुद्ध लड़ रहे थे वह सदियों की रूढ़ परम्पराओं के कारण दृढ़ हो गई थी और कहीं-कहीं तो उसने तथाकथित शास्त्रों और धर्म की विकृत धारणाओं से सहारा लेने की कोशिश भी की थी।
No comments:
Post a Comment